Akaal Sandhya अकाल सन्ध्या
Author | |
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Publisher | |
Language | |
Edition |
2024 |
ISBN |
9789357757966 |
Pages |
290 |
Cover |
Paperback |
Size |
23*2*15(L*B*H) |
Weight |
260 Gm |
Item Code |
9789357757966 |
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अकाल सन्ध्या –
सुपरिचित कथाकार रामधारी सिंह दिवाकर को ग्रामीण पृष्ठभूमि पर कथा कहने का अच्छा माद्दा है। ‘अकाल सन्ध्या’ के अनेक पात्रों में से एक महत्त्वपूर्ण पात्र है ‘माई’, जो अपने गाँव और समाज का पूरा व्यक्तित्व समेटे हुए है। माई का बेटा नन्दू पढ़-लिखकर अमेरिका चला जाता है और कुछ दिनों बाद वह अपने पूरे परिवार को भी ले जाता है। अकेली रह जाती है तो सिर्फ़ माई। यह है आज के पढ़े-लिखे भारतीय समाज का चित्र। प्रतिभाएँ पलायन कर रही हैं और भारतीय राजनीति कम पढ़े-लिखे लोगों के हाथ में सौंपी जा रही है। हमारे प्रगतिशील समाज की पंगु मानसिकता… कितनी ख़तरनाक!
लेखक ने उपन्यास के ज़रिये बिहार के ही नहीं, पूरी भारतीय राजनीति के चित्र को उघाड़ा है, जिससे आप यह अन्दाज़ा लगा सकते हैं कि राजनीति करने की मुहिम में आज हमारे गाँव किस क़दर डूबे हुए हैं।… पश्चिम की विस्तारवाद की नीतियों से लेकर भारतीय राजनीति और उसमें साँस लेते समाज की सशक्त अभिव्यक्ति। —कमलेश्वर
Weight | 0.29 kg |
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Dimensions | 22 × 2 × 14 cm |
Author | |
Publisher | |
Language | |
Edition |
2024 |
ISBN |
9789357757966 |
Pages |
290 |
Cover |
Paperback |
Size |
23*2*15(L*B*H) |
Weight |
260 Gm |
Item Code |
9789357757966 |
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AUTHOR: | राधावल्लभ त्रिपाठी (RADHAVALLABHA TRIPATHI) |
PUBLISHER: | New Bharatiya Book Corporation |
LANGUAGE: | Sanskrit-Hindi translation |
ISBN | 9788183151603 |
EDITION: | 2012 |
PAGES: | 1558 (20 PAGES B/W ILLUSTRATIONS) |
COVER: | HARDCOVER |
OTHER DETAILS | 10.0 INCH X 7.5 INCH |
WEIGHT | 2.90 KG |