Sanskrit Vyakaran Shastra Ka Itihas संस्कृत व्याकरण – शास्त्र का इतिहास
Author | |
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Publisher | |
Language | |
Edition |
2020 |
Pages |
1364 |
Cover |
Hardcover |
Size |
14 x 4 x 22 (l x w x h ) |
Weight |
3.50 kg |
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यह द्वि-खंडीय ग्रंथ संस्कृत व्याकरण शास्त्र के विकास, परंपरा और साहित्य का सुविस्तृत इतिहास प्रस्तुत करता है। इसमें वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक व्याकरणाचार्यों की परंपरा, विभिन्न व्याकरण शैलियों, पाणिनि, कात्यायन, पतंजलि आदि महर्षियों की व्याकरण परंपरा का गहन विवेचन मिलता है।
पुस्तक में न केवल पाणिनीय परंपरा, अपाणिनीय व्याकरण, प्राचीन व मध्यकालीन व्याकरणाचार्य, अपभ्रंश और प्राकृत व्याकरण की चर्चा की गई है, बल्कि संस्कृत व्याकरण पर लिखे गए महत्वपूर्ण ग्रंथों और उनकी विशेषताओं का भी क्रमबद्ध विवरण मिलता है। यह पुस्तक संस्कृत अध्ययन, शोध एवं पारंपरिक व्याकरण-चिंतन में रुचि रखने वाले विद्वानों, छात्रों और अध्येताओं के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ ग्रंथ है।
विषय-वस्तु:
वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक व्याकरण-शास्त्र की प्रगति।
पाणिनि, पतञ्जलि, कात्यायन, भरतृहरि, भट्टोजि दीक्षित, नागेशभट्ट आदि व्याकरणाचार्यों का योगदान।
संस्कृत व्याकरण की विभिन्न परम्पराएँ—पाणिनीय, कातन्त्र, जैनेन्द्र, चान्द्र और अन्य।
संस्कृत व्याकरण के ग्रन्थों की परम्परा, उनकी व्याख्याएँ और उनके दार्शनिक पक्ष।
साहित्य, दर्शन और भाषाविज्ञान पर व्याकरण का प्रभाव।
पुस्तक की विशेषताएँ
शोधपरक और प्रामाणिक प्रस्तुति।
विद्यार्थी, शोधार्थी तथा संस्कृत साहित्य व व्याकरण में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए उपयोगी।
संस्कृत भाषा-विज्ञान और भारतीय परम्परा की गहरी समझ विकसित करने में सहायक।
Weight | 3.4 kg |
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Dimensions | 22 × 14 × 5 cm |
Author | |
Publisher | |
Language | |
Edition |
2020 |
Pages |
1364 |
Cover |
Hardcover |
Size |
14 x 4 x 22 (l x w x h ) |
Weight |
3.50 kg |